मेरी परवरिश मथुरा में एक ब्राह्मण परिवार में हुई,पिता सरकारी अस्पताल में कार्यरत हैं तथा माता ग्रहणी | मेरी शिक्षा मथुरा व जयपुर में पूर्ण हुई, दोनों भाइयों में सबसे बड़ी हूँ ,मेरा विवाह हाथरस में हुआ |
२.लेखन में आपकी रूचि कब से है ?
मुझे बचपन से ही कहानी कविताओं का शौक था| मेरी पहली कविता १४ वर्ष की आयु में प्रकाशित हुयी ,उसके बाद अनेक पत्र पत्रिकाओं में कहानी कविताओं का प्रकाशन होता आ रहा है आख़िरी वचन मेरा पहला उपन्यास है |
३.लेखन की दुनिया में आपके प्रेरणा स्त्रोत कौन कौन हैं
मुंशी प्रेमचंद व रामधारी सिंह दिनकर मेरे प्रेरणा स्त्रोत रहे है,एक अच्छा लेखक वही है जो समाज के सवेंदनशील विषयों को सामने ला सके | एक कलम के बलबूते आप समाज में क्रांति ला सकते हैं जब तक आप बिना डरे सच नहीं लिख सकते आप सच्चे लेखक नहीं हो सकते |
४. अपने लेखन के बारे में बताइये आप किस तरह का लिखना पसंद करती हैं ?
मेरी दोनों विधाओं की शैली स्वतंत्र लेखन है, आज भी समाज के अनेक विषय हैं जिन्हें सामने लाने में प्रयासरत हूँ आप जब तक नहीं लिख सकते जब तक उस दर्द को महसूस न करें मेरा प्रयास है अपनी कलम से वो क्रांति ला सकूँ जिससे समाज के वंचित तबके को इंसाफ मिल सके |
५ अपने उपन्यास आख़िरी वचन के बारे में बताइए ?
आख़िरी वचन एक बहुत ही संवेदनशील उपन्यास है जिसे आप बिना आँखों में आँशु लाये पढ़ नहीं सकते , इसमें एक स्त्री के संघर्ष की कहानी है किस प्रकार उसे जीवन के हर मोड़ पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ? एक स्त्री के लिए सबसे कठिन होता है ,अपना अस्तित्व बनाए रखना वो भोग विलास की वस्तू नहीं वरन एक जीती जागती इंसान है भगवान ने उसे ने उसे भी स्वत्रन्त्र प्राणी के रूप में पैदा किया परन्तु समाज ने उसे नियमों में बांध दिया इसके अलावा इसमें विवाहेत्तर सम्बन्धो को नए रूप में परिभाषित किया गया है |
६. लेखन के क्षेत्र में आने के बाद आपको क्या क्या कठिनाइयां आती है ?
सबसे बड़ी कठिनाई पुस्तक के प्रकाशन की आती है जो आपको सहयोगात्मक रूप से पुस्तक का प्रकाशन करके दे सके दूसरी कठिनाई पाठकों की साहित्य में रुचियो में आने वाली कमी है उन्हें साहित्य से बांधने के लिए जरुरी है उनकी मनोदशा व समस्या को सामने लाना |
७ अब आगे किस किताब की तैयारी है ?
फ़िलहाल मैं एक मोटिवेशनल किताब लिख रही हु जो विभिन्न प्रकार के वर्ग के लोगों का मार्गदर्शन करने का काम करेगी ,ज्यादातर युवा मोटिवेशनल के नाम पर अंग्रेजी साहित्य को पढ़ना पसंद करते है मेरा छोटा सा प्रयास है उन्हें हिंदी साहित्य से जोड़े रखने का |
८. लायन्स पब्लिकेशन के साथ आपका अनुभव कैसा रहा ?
मैं दिल से आभार व्यक्त करना चाहूंगी मेरे सपनों को उड़ान देना यदि संभव हुआ है वो प्रकाशन की सहायता के बिना असंभव था आप जिस प्रकार नए साहित्यकारों को मौका दे रहे हैं काबिले तारीफ़ है |
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